श्रावण सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि: रुद्राभिषेक क्यों बन जाता है सबसे विशेष?

श्रावण मास में रुद्राभिषेक का महात्म्य

श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस समय किया गया रुद्राभिषेक 100 गुना अधिक फलदायी हो जाता है। क्यों?

  1. प्राकृतिक शीतलता:
    • वर्षा ऋतु में जल से अभिषेक करने पर शिव जी विशेष प्रसन्न होते हैं
    • जलधारा में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम माना जाता है
  2. खगोलीय संरेखण:
    • सूर्य सिंह राशि में होता है जो शिव तत्व को जागृत करता है
    • चंद्रमा की शीतल किरणें अभिषेक जल को पवित्र बनाती हैं

सोमवार के दिन का विशेष संयोग

सोमवार को चंद्र देव का दिन माना जाता है जो शिव जी के मस्तक पर विराजमान हैं:

  • 11 माला रुद्राक्ष धारण करने का सर्वोत्तम दिन
  • दूध-जल से अभिषेक करने पर मनोकामना शीघ्र पूर्ण
  • विशेष लाभ: कुंडली के चंद्र दोष का निवारण

प्रदोष काल में अभिषेक का रहस्य

प्रदोष वह विशेष 3 घंटे का समय होता है जब सूर्यास्त से पहले शिव तत्व सक्रिय होता है:

  1. समय: सूर्यास्त से 1.5 घंटे पहले और बाद
  2. मंत्र प्रभाव: “ॐ नमः शिवाय” (इस काल में 108 बार जपने से अद्भुत परिणाम)
  3. विशेषता: एक प्रदोष व्रत = 100 सामान्य व्रतों के बराबर

मासिक शिवरात्रि का विज्ञान

हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि में:

  • रात्रि 12 बजे अभिषेक करने से मिलता है त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या का संयुक्त फल
  • विष विशेष: इस रात शिवलिंग पर विषघ्न जड़ी-बूटियों (नीम, धतूरा) से अभिषेक करने का विधान

रुद्राभिषेक की विशेष विधि (श्रावण में)

  1. सामग्री:
    • दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल
    • बिल्व पत्र, आक के फूल
    • काले तिल मिश्रित जल
  2. मंत्रोच्चारण: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
  3. समय सारणी:
    • ब्रह्म मुहूर्त: 4:30-5:30 AM (सर्वोत्तम)
    • प्रदोष काल: सूर्यास्त के समय
    • निशीथ काल: रात 12 बजे

अद्भुत लाभ जो आपको मिलेंगे

  1. कालसर्प दोष का शमन
  2. विवाह विलंब दूर करने में सहायक
  3. संतान सुख प्राप्ति का मार्ग
  4. शनि-राहु के दुष्प्रभाव से मुक्ति

विशेष टिप:
श्रावण के प्रत्येक सोमवार को 11 बिल्व पत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।

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