
हिन्दू धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। वैदिक ज्योतिष में, ग्रहण को नकारात्मक ऊर्जा और राहु-केतु के प्रभाव से जोड़ा जाता है, जो जीवन, राशियों, और नक्षत्रों पर गहरा असर डालते हैं। नक्षत्र, जो 27 तारामंडल हैं, मानव जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रहों की स्थिति को और गहराई से समझने में मदद करते हैं।
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण क्या है? जाने गृह नक्षत्रों का दुष्प्रभाव
सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है, जिससे सूर्य का कुछ या पूरा हिस्सा ढक जाता है। यह अमावस्या तिथि पर होता है। वैदिक ज्योतिष में, इसे राहु के प्रभाव से जोड़ा जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा और अशुभता का प्रतीक है।
चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह पूर्णिमा तिथि पर होता है। केतु का प्रभाव इसे अशुभ बनाता है।
नक्षत्रों का महत्व
27 नक्षत्र (जैसे रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी) ग्रहों की स्थिति और राशियों के साथ मिलकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। ग्रहण के दौरान नक्षत्रों की स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह राशियों और व्यक्तियों पर विशिष्ट प्रभाव डालती है।
2025 (जून से दिसम्बर) में होने वाले ग्रहण
चन्द्र ग्रहण 2025 (Lunar Eclipses)
2025 में जून से दिसंबर की अवधि में दो महत्वपूर्ण ग्रहण होंगे: एक चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण, जो खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। पहला ग्रहण, एक पूर्ण चंद्र ग्रहण, 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि पर होगा। यह भारत में दिखाई देगा , जिसके कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार, यह ग्रहण रात 6:45 बजे शुरू होगा और रात 11:12 बजे समाप्त होगा।
यह ग्रहण मीन राशि और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में होगा। सूतक काल, जो ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है, 7 सितंबर को सुबह 09:35 AM से लागू होगा। इस दौरान शुभ कार्य, पूजा-पाठ, और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। यह ग्रहण भारत के अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा।
7 सितंबर 2025 – पूर्ण चंद्र ग्रहण
- ग्रहण का प्रकार: पूर्ण चंद्र ग्रहण
- समय (भारत में):
- आरंभ: 06:45 PM
- मध्य: 08:10 PM
- समाप्ति: 11:12 PM
- भारत में दृश्यता: पूरी तरह से दृश्य होगा
- सूतक काल: मान्य होगा — सुबह 09:35 AM से
- नक्षत्र: यह ग्रहण पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में घटित होगा।
सूर्य ग्रहण 2025 (Solar Eclipses)
एक आंशिक सूर्य ग्रहण, 21 सितंबर 2025 को भाद्रपद अमावस्या तिथि पर होगा। यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। IST के अनुसार, ग्रहण सुबह 10:45 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर को दोपहर 2:30 बजे समाप्त होगा, कुल अवधि 4 घंटे 24 मिनट की होगी।
यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होगा। यह ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, अमेरिका, समोआ, न्यूजीलैंड, और फिजी जैसे क्षेत्रों में दिखाई देगा। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इस ग्रहण का प्रभाव कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के जातकों पर अधिक हो सकता है, विशेषकर करियर और कार्यक्षेत्र में चुनौतियों के रूप में।
21 सितंबर 2025 – आंशिक सूर्य ग्रहण
- ग्रहण का प्रकार: आंशिक (Partial)
- समय (भारत में):
- ग्रहण आरंभ: लगभग 10:45 AM
- मध्य: 12:30 PM
- समाप्ति: 2:30 PM
- भारत में दृश्यता: आंशिक रूप से कुछ हिस्सों में संभव
- सूतक काल: मान्य नहीं होगा, क्योंकि पूर्ण रूप से भारत में दृश्य नहीं है।
- नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में यह ग्रहण घटित होगा।
उपरोक्त जानकारी में समय अनुसार अंतर आ सकता है तो पंडित जी के पास कॉल करके सही जानकारी प्राप्त करें, यह जानकारी पूर्ण रूप से सही हो यह संभव नहीं है। ग्रहण की सटीक जानकारी के लिए नीचे दिये नंबर पर कॉल करे और सही जानकारी ले।
ग्रहणों के दौरान नक्षत्र और उनका धार्मिक प्रभाव
ग्रहण के समय यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में वही नक्षत्र सक्रिय होता है, तो उसे विशेष सावधानी रखनी चाहिए। नीचे 2025 के ग्रहणों के दौरान सक्रिय नक्षत्रों और उनके प्रभावों की जानकारी दी गई है:
| ग्रहण की तिथि | ग्रहण का प्रकार | सक्रिय नक्षत्र | प्रभाव |
|---|---|---|---|
| 17 सितंबर 2025 | चंद्र ग्रहण | पूर्वा फाल्गुनी | विवाह, सौंदर्य और ऐश्वर्य से जुड़े कार्यों में विघ्न |
| 21 सितंबर 2025 | सूर्य ग्रहण | उत्तर फाल्गुनी | नई शुरुआत, प्रशासनिक कार्यों में विघ्न |
जाने सूतक काल के नियम और धर्मिक प्रभाव
सूतक काल किसे मानना चाहिए? और क्या करना चाहिए?
- गर्भवती स्त्रियों, बच्चों और वृद्धों को विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
- मंत्र, जप, ध्यान आदि करना शुभ माना जाता है।
- ग्रहण के दौरान खाना-पीना वर्जित होता है।
- तुलसी, गंगाजल, कुश आदि को खाने की चीज़ों में डालने से वे अशुद्ध नहीं होते।
ग्रहण के दौरान कौन-सी सावधानियाँ और उपाय करना चाहिए?
सावधानियाँ
- सूतक काल: भारत में केवल 7–8 सितंबर के चंद्र ग्रहण का सूतक मान्य है। इस दौरान:
- शुभ कार्य (विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन) न करें।
- मंदिरों में पूजा और मूर्ति स्पर्श वर्जित।
- गर्भवती महिलाएँ घर में रहें और चाकू/कैंची से बचें।
- सूर्य ग्रहण: नंगी आँखों से न देखें। सुरक्षित उपकरण (पिनहोल कैमरा, सौर चश्मे) का उपयोग करें।
- आहार: सूतक काल में भोजन न बनाएँ। तुलसी पत्ती डालकर पहले से बना भोजन ग्रहण करें।
- नकारात्मक ऊर्जा: ग्रहण के दौरान ध्यान, मंत्र जाप, और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
ज्योतिषीय उपाय
- मंत्र जाप:
- सूर्य: “ॐं ह्रीं क्लीं सूर्यदेवाय नमः” (108 बार)
- चंद्रमा: “ऐं सों सोमाय नमः” (108 बार)
- राहु: “ॐं ह्रीं राहवे नमः” (108 बार)
- केतु: “ऐं स्रीं केम के तुये नमहा” (108 बार)
- दान:
- सूर्य ग्रहण: तेल, अनाज, और लाल वस्त्र दान करें।
- चंद्र ग्रहण: दूध, चांव्ल, और सफे द वस्त्र दान करें।
- पूजा:
- उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक और काल भैरव पूजा करें।
- पं. अतुल अग्निहोत्री (+91 9691423859) से संपर्क करें।
- घर की शुद्धि:
- ग्रहण के बाद गंगाजल छिड़क घर और पूजा स्थाल को शुद्ध करें।
ग्रहण से संबन्धित ओर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से संपर्क करें और पूरी जानकारी सटीक रूप से प्राप्त करें।