शनिश्चरी अमावस्या एक विशेष दिन है जब अमावस्या शनिवार को पड़ती है, और इसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। 2025 में, 23 सितंबर 2025 को शनिश्चरी अमावस्या आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के साथ-साथ पितृ पक्ष के अंतिम दिन, सर्वपितृ अमावस्या के साथ संयोग बनाएगी।
यह दिन पितरों की आत्मा की शांति और पितृ दोष निवारण के लिए विशेष रूप से प्रभावी है। शनिदेव, जो कर्मफलदाता हैं, और पितरों की कृपा इस दिन किए गए उपायों से कई गुना बढ़ जाती है।
शनिश्चरी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या 2025 का महत्व
शनिश्चरी अमावस्या का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है। इस दिन शनिदेव और पितरों की पूजा से न केवल पितृ दोष और शनि दोष (साढ़े साती, ढैय्या) से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति भी प्राप्त होती है। 23 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ शनिश्चरी अमावस्या का संयोग इसे और भी शक्तिशाली बनाता है। इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को मोक्ष मिलता है, और वे परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। शनिदेव की कृपा से कर्म बाधाएं, आर्थिक समस्याएं, और स्वास्थ्य कष्ट दूर होते हैं।
शनिश्चरी अमावस्या 23 सितंबर 2025 की तिथि और मुहूर्त
- तिथि: आश्विन मास, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी (सर्वपितृ अमावस्या की ओर अग्रसर)
- दिनांक: 23 सितंबर 2025, मंगलवार
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर 2025, रात 12:16 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 23 सितंबर 2025, रात 01:23 बजे
- कुतुब मुहूर्त: सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक
- रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:38 बजे से 01:27 बजे तक
- शुभ पूजा मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे से 08:10 बजे तक
- राहु काल (वर्जित): 23 सितंबर 2025, दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक
शनिश्चरी अमावस्या और पितृ पूजा के लाभ
- पितृ दोष निवारण: तर्पण और श्राद्ध से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है, जिससे संतान, धन, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
- शनि दोष निवारण: शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
- आर्थिक समृद्धि: शनि और पितरों की कृपा से धन संबंधी बाधाएं हटती हैं।
- पारिवारिक सुख: परिवार में शांति और सामंजस्य बढ़ता है।
- स्वास्थ्य लाभ: मानसिक तनाव और शारीरिक कष्टों से राहत मिलती है।
शनिश्चरी अमावस्या और पितृ पूजा विधि
शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव और पितरों की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। नीचे पूजा की सरल विधि दी गई है:
पूजा विधि
- संकल्प:
- सुबह स्नान के बाद हाथ में गंगाजल और अक्षत लेकर संकल्प करें: “मैं 23 सितंबर 2025 को शनिश्चरी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या के अवसर पर शनिदेव और पितरों की पूजा और तर्पण करने जा रहा/रही हूं।”
- शनिदेव पूजा:
- शनिदेव की मूर्ति पर तिल का तेल और काले तिल अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ शं शनैश्चराय नमः” (108 बार)।
- तिल के तेल का दीपक जलाएं और काले चने व गुड़ का भोग लगाएं।
- पितृ तर्पण:
- पीपल के पेड़ के नीचे या घर में दक्षिण दिशा में कुशा और काले तिल लेकर तर्पण करें।
- मंत्र: “ॐ पितृभ्यो नमः” (21 बार)।
- पितरों के नाम से जल, काले तिल, और जौ अर्पित करें।
- शिवलिंग पूजा:
- शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, और बेलपत्र अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ नमः शिवाय” (108 बार)।
- धतूरा और काले फूल चढ़ाएं।
- हवन:
- शनिदेव और पितरों के लिए हवन करें। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” और “ॐ पितृभ्यो नमः” मंत्रों के साथ तिल और घी की आहुति दें।
- दान:
- काले वस्त्र, काले चने, तिल, और तेल का दान करें।
- गरीबों को भोजन और दक्षिणा दें।
- आरती और प्रसाद:
- “जय शनि देव” और “ॐ जय शिव ओमकारा” आरती गाएं।
- प्रसाद वितरित करें।
सावधानियां
- राहु काल: दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक पूजा से बचें।
- शुद्धता: स्नान और स्वच्छ वस्त्रों के साथ उपाय करें।
- सात्विकता: तामसिक भोजन (मांस, लहसुन, प्याज) से बचें।
- संकल्प: प्रत्येक उपाय से पहले अपनी मनोकामना का संकल्प लें।
शनिश्चरी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या 23 सितंबर 2025 एक दुर्लभ अवसर है, जो शनिदेव और पितरों की कृपा प्राप्त करने का मौका देता है। उपरोक्त 21 उपाय, जैसे पीपल पर जल अर्पण, तिल दान, और शिवलिंग पूजा, आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति ला सकते हैं। शुभ मुहूर्त में पूजा और तर्पण करें, और शुद्धता बनाए रखें। शनिदेव और पितरों की कृपा से आपका जीवन सुखमय हो।
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