प्रशांत किशोर, जिन्हें पीके (PK) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीति में एक जाना-माना नाम बन चुके हैं। पहले एक सफल चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रसिद्ध, अब वे अपनी नई पार्टी जन सुराज पार्टी के माध्यम से बिहार की राजनीति में एक नए चेहरे के रूप में उभरे हैं। उनकी 2022 में शुरू हुई 3,000 किलोमीटर की पदयात्रा और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन जैसे स्थापित दलों के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं।
प्रशांत किशोर: एक रणनीतिकार से राजनेता तक
प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के रोहतास जिले में हुआ था। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और संयुक्त राष्ट्र में आठ साल की सेवा ने उन्हें डेटा-आधारित रणनीति और जन-केंद्रित दृष्टिकोण का विशेषज्ञ बनाया। 2014 में नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक जीत में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। इसके बाद, उन्होंने नीतीश कुमार (JDU), ममता बनर्जी (TMC), और अरविंद केजरीवाल (AAP) जैसे नेताओं के लिए सफल अभियान चलाए।
- 2014 लोकसभा चुनाव: किशोर ने “चाय पर चर्चा” और 3D होलोग्राम रैलियों जैसी नवीन रणनीतियों के साथ बीजेपी की जीत सुनिश्चित की।
- 2015 बिहार चुनाव: नीतीश कुमार के लिए JDU की जीत में उनकी रणनीति महत्वपूर्ण थी।
- 2022 में नई शुरुआत: कांग्रेस के साथ असफल वार्ता के बाद, किशोर ने जन सुराज पार्टी की घोषणा की और 2 अक्टूबर 2022 से बिहार में 3,000 किमी की पदयात्रा शुरू की।
जन सुराज पार्टी: बिहार की राजनीति में नया विकल्प
जन सुराज पार्टी का गठन बिहार की राजनीति में एक नया विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया। किशोर ने बिहार में पिछले 30 वर्षों में RJD और JDU के शासन को विकास के मामले में विफल बताया है। उनकी पार्टी का जोर शिक्षा, रोजगार, और पारदर्शी शासन पर है।
प्रमुख रणनीतियां
- जातिगत समीकरण: किशोर ने उमाशंकर सिंह (राजपूत), आरसीपी सिंह (कुर्मी), और मनोज कुमार भारती (दलित) जैसे नेताओं को शामिल कर जातिगत समीकरण को संतुलित किया है।
- शिक्षा और रोजगार: किशोर ने शराबबंदी हटाने का प्रस्ताव दिया ताकि शिक्षा प्रणाली को बेहतर करने के लिए राजस्व जुटाया जा सके।
- जमीनी अभियान: उनकी 3,000 किमी की पदयात्रा ने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में जनता के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया।
2025 बिहार चुनाव में लक्ष्य
किशोर ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर 2025) में जीत की उम्मीद जताई है। उनकी रणनीति बिहार में “नकारात्मक मतदान” (विरोधी वोटिंग) को “सकारात्मक मतदान” में बदलने पर केंद्रित है, जहां लोग विकास के लिए वोट करें।
अन्य दलों के लिए चुनौतियां
प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी ने बीजेपी, JDU, RJD, और कांग्रेस जैसे दलों के लिए कई चुनौतियां पेश की हैं:
1. बीजेपी (BJP)
- चुनौती: बीजेपी बिहार में NDA का हिस्सा है, और किशोर की पार्टी राजपूत और कुर्मी वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। उमाशंकर सिंह और आरसीपी सिंह जैसे नेताओं की भर्ती ने बीजेपी के पारंपरिक वोटर आधार को खतरा पैदा किया है।
- प्रभाव: 2025 में बीजेपी के लिए सीटों की संख्या कम हो सकती है, क्योंकि किशोर की विकास-केंद्रित रणनीति शहरी और युवा मतदाताओं को आकर्षित कर रही है।
- प्रतिक्रिया: बीजेपी नेता देवेश कुमार ने किशोर को “परीक्षण गुब्बारा” करार दिया और कहा कि बिहार में उनकी पार्टी के लिए कोई जगह नहीं है।
2. जनता दल (यूनाइटेड) (JDU)
- चुनौती: नीतीश कुमार की JDU किशोर की पूर्व सहयोगी पार्टी रही है, लेकिन उनकी आलोचना और आरसीपी सिंह की भर्ती ने JDU के कुर्मी वोट बैंक को खतरे में डाला है।
- प्रभाव: किशोर की नीतीश के शासन की आलोचना, जैसे बिहार के विकास में कमी, JDU की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।
- प्रतिक्रिया: JDU प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि किशोर का कोई प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि नीतीश ने बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था में सुधार किया है।
3. राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
- चुनौती: तेजस्वी यादव की RJD को किशोर की विकास-केंद्रित रणनीति और युवा अपील से चुनौती मिल रही है। उनकी आलोचना कि RJD ने 1990-2005 में बिहार को “जंगलराज” में धकेला, मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।
- प्रतिक्रिया: तेजस्वी यादव ने किशोर की प्रासंगिकता को खारिज करते हुए कहा कि वे “कोई मायने नहीं रखते”।
4. कांग्रेस (Congress)
- चुनौती: किशोर की असफल कांग्रेस वार्ता के बाद, उनकी नई पार्टी बिहार में कांग्रेस के लिए जगह कम कर रही है।
- प्रतिक्रिया: बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने किशोर के प्रयासों का स्वागत किया लेकिन उनकी सफलता पर संदेह जताया।
5. अन्य दल
- चिराग पासवान और LJP: पप्पू यादव ने किशोर और चिराग पासवान के बीच गठबंधन की अफवाहों को उछाला, जो NDA के लिए आंतरिक तनाव पैदा कर सकता है।
- विपक्षी गठबंधन: महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, और अन्य) को किशोर की नई पार्टी से वोटों का बंटवारा होने का खतरा है।
प्रशांत किशोर का बिहार की राजनीति में प्रवेश एक नया अध्याय है, जो बीजेपी, JDU, RJD, और कांग्रेस जैसे दलों के लिए चुनौतियां ला रहा है। उनकी विकास-केंद्रित रणनीति, जातिगत समीकरण, और जमीनी अभियान बिहार के मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं। हालांकि, जातिगत राजनीति और हाल के विवाद उनकी राह में बाधाएं हैं। 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव यह तय करेगा कि क्या किशोर बिहार की राजनीति को बदल पाएंगे।