प्रदोष काल पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय: स्थिर वृषभ लग्न और नवमांश का महत्व

प्रदोष काल, सूर्यास्त के बाद का शुभ समय, हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा और ग्रह दोष निवारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह समय, जो सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पहले और 1.5 घंटे बाद तक रहता है, विशेष रूप से स्थिर वृषभ लग्न (7:00 PM से 7:30 PM) में पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। इसके साथ स्थिर नवमांश का संयोग पूजा को और भी शक्तिशाली बनाता है।

20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को दीपावली पूजन का सर्वोत्तम समय प्रदोष काल में, शाम 7:00 से 7:30 बजे तक स्थिर वृषभ लग्न में है। जो भी व्यक्ति इस समय श्रद्धा और पूरी विधि से लक्ष्मी पूजन करेगा, उसके जीवन में स्थायी धन, शांति और समृद्धि का प्रवेश अवश्य ही होगा। पूजा की सही विधि और मुहूर्त की जानकारी के लिए अभी उज्जैन के अनुभवी पंडित जी को कॉल करें।

प्रदोष काल क्या है? इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बताए?

प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का वह समय है जब सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा संतुलित होती है, जिससे यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय बन जाता है। ज्योतिष शास्त्र में, यह समय ग्रहों की शुभता को बढ़ाने और दोषों (जैसे मंगल, शनि, या राहु-केतु) को शांत करने के लिए आदर्श माना जाता है। प्रदोष काल में पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं।

धार्मिक महत्व

  • प्रदोष काल में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पीकर देवताओं और असुरों की रक्षा की थी। इसीलिए इस समय शिव की पूजा की जाती है।
  • विशेषता: प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि (सूर्यास्त के बाद) प्रदोष व्रत और पूजा के लिए समर्पित होती है।

ज्योतिषीय महत्व

  • ग्रह संतुलन: प्रदोष काल में चंद्रमा और सूर्य की स्थिति ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करती है।
  • स्थिर लग्न: वृषभ लग्न स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है, जो पूजा को फलदायी बनाता है।
  • नवमांश प्रभाव: स्थिर नवमांश (जैसे वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ) पूजा की शक्ति को बढ़ाता है।

प्रदोष काल में सर्वश्रेष्ठ समय: स्थिर वृषभ लग्न (7:00 PM से 7:30 PM)

प्रदोष काल का समय हर स्थान और तिथि के अनुसार भिन्न होता है, लेकिन 7:00 PM से 7:30 PM का समय, जब वृषभ लग्न स्थिर होता है, पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। यह समय 16 अक्टूबर 2025 को शाम 5:51 PM IST के बाद शुरू होने वाले प्रदोष काल में विशेष महत्व रखता है।

वृषभ लग्न का महत्व

  • ज्योतिषीय कारण: वृषभ लग्न शुक्र ग्रह से संचालित होता है, जो धन, सुख, और वैवाहिक जीवन का कारक है। स्थिर लग्न होने से यह पूजा के फल को स्थायी बनाता है।
  • शिव से संबंध: वृषभ शिव की वाहन नंदी का प्रतीक है, जो इस समय पूजा को पवित्र बनाता है।
  • तत्काल फल: इस लग्न में पूजा करने से 7-15 दिनों में आर्थिक लाभ, पारिवारिक सुख, और ग्रह दोष निवारण संभव है।

स्थिर नवमांश का प्रभाव

नवमांश कुंडली का 9वां भाग है, जो गहराई से भाग्य और आध्यात्मिकता को दर्शाता है। जब नवमांश वृषभ, सिंह, वृश्चिक, या कुंभ जैसे स्थिर राशियों में होता है, तो पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

  • ज्योतिषीय कारण: स्थिर नवमांश जीवन में स्थिरता और दीर्घकालिक लाभ देता है।
  • 2025 में संयोग: 16 अक्टूबर 2025 को शाम 7:00-7:30 PM में वृषभ लग्न के साथ नवमांश भी स्थिर हो सकता है (स्थानीय पंचांग से पुष्टि करें)।
  • लाभ: स्वास्थ्य, धन, और वैवाहिक सुख में तत्काल सुधार।

2025 में प्रदोष काल का समय

  • 16 अक्टूबर 2025: सूर्यास्त 6:15 PM IST, प्रदोष काल 5:45 PM से 7:15 PM, वृषभ लग्न 7:00 PM-7:30 PM।
  • नवंबर प्रदोष: 4 नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा के निकट) – सूर्यास्त 6:00 PM, प्रदोष 5:30 PM-7:00 PM, वृषभ लग्न 7:00 PM-7:30 PM।
  • सटीक समय स्थानीय पंचांग से जांचें। आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें। और सही समय और मुहूर्त की जानकारी प्राप्त करें।

प्रदोष काल में पूजा की विधि: वृषभ लग्न और नवमांश के साथ

प्रदोष काल में पूजा भगवान शिव को समर्पित होती है। वृषभ लग्न (7:00 PM-7:30 PM) में निम्नलिखित विधि अपनाएँ:

पूजा की विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: शाम 6:00 PM के बाद स्नान करें और वस्त्र धारण करें।
  2. संकल्प: हाथ में जल और अक्षत लेकर उद्देश्य (धन, स्वास्थ्य, ग्रह शांति) से संकल्प लें।
  3. गणेश पूजा: भगवान गणेश को लाल फूल और मिठाई अर्पित करें। मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः” (21 बार)।
  4. शिवलिंग अभिषेक: 7:00 PM-7:30 PM (वृषभ लग्न) में शिवलिंग पर पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें। मंत्र: “ॐ नमः शिवाय” (108 बार)।
  5. रुद्राभिषेक: बिल्व पत्र और काले तिल के साथ रुद्र सूक्त का पाठ करें।
  6. नवग्रह शांति: नवग्रह मंत्र “ॐ ग्रहेभ्यो नमः” का जाप करें (21 बार)।
  7. आरती और प्रसाद: “ॐ जय शिव ओमकारा” आरती करें और प्रसाद बांटें।
  8. विशेष: वृषभ लग्न में नवमांश की शक्ति के लिए “ॐ शुक्राय नमः” (108 बार) जाप करें।

प्रदोष काल में वृषभ लग्न और नवमांश के लाभ क्या है?

प्रदोष काल में वृषभ लग्न (7:00 PM-7:30 PM) और स्थिर नवमांश में पूजा करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  • धन और समृद्धि: शुक्र ग्रह की कृपा से आर्थिक स्थिरता।
  • वैवाहिक सुख: दांपत्य जीवन में सामंजस्य।
  • ग्रह दोष निवारण: मंगल, शनि, और राहु-केतु दोष शांत।
  • स्वास्थ्य लाभ: रक्तचाप, तनाव, और मानसिक शांति।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आत्मविश्वास और सकारात्मकता में वृद्धि।
  • तत्काल फल: 7-15 दिनों में परिणाम, जैसे नौकरी में प्रमोशन या ऋण मुक्ति।

2025 दीपावली पूजन का शुभ समय (Pradosh Kaal Muhurat)

  • तारीख: 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
  • तिथि: कार्तिक अमावस्या
  • प्रदोष काल: शाम 6:34 बजे से 8:12 बजे तक
  • स्थिर वृषभ लग्न आरंभ: 7:00 बजे से 7:30 बजे तक

इस अवधि में वृषभ लग्न और स्थिर नवांश का योग बन रहा है, जो दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ काल है।
इसी समय में किया गया श्रीलक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजा और दीपदान अत्यंत फलदायक होता है।

क्यों चुनें प्रदोष काल ही?

  • प्रदोष काल में सूर्यास्त के साथ पृथ्वी और आकाशीय ऊर्जा संतुलित होती है
  • इस काल में मां लक्ष्मी का “स्थिर आवाहन” संभव होता है।
  • अगर पूजन इसी समय किया जाए तो घर में आने वाला धन स्थायी बनता है।

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