नवरात्रि में नवचंडी पाठ का महत्व और लाभ: माँ दुर्गा की पूजा

नवरात्रि, देवी दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। इस पावन अवसर पर नवचंडी पाठ का विशेष महत्व होता है। यह एक शक्तिशाली अनुष्ठान है, जिसमें माँ चंडी (देवी दुर्गा) के 700 श्लोकों वाले दुर्गा सप्तशती और नवग्रह, दशमहाविद्या तथा देवी के विभिन्न स्वरूपों की स्तुति की जाती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 (23 सितंबर से 1 अक्टूबर) माँ दुर्गा की भक्ति और नवचंडी पाठ के लिए एक शक्तिशाली अवसर है। यह पाठ शत्रु बाधा, ग्रह दोष, और वास्तु दोष को दूर करता है, साथ ही वैवाहिक सुख, आर्थिक समृद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करता है।

नवचंडी पाठ क्या है? इसकी विशेषताएँ क्या है?

  • नवचंडी पाठ एक विशाल वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें नवदुर्गा के साथ-साथ सभी 64 योगिनियाँ, नवग्रह और 10 महाविद्याओं का आह्वान किया जाता है।
  • इस पाठ में विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती (चंडी पाठ) का संपूर्ण पाठ किया जाता है।
  • इसे नवरात्रि के दौरान कराने का महत्व सबसे अधिक माना जाता है क्योंकि यह समय शक्ति साधना का सर्वोत्तम काल होता है।

नवरात्रि में नवचंडी पाठ का महत्व क्या है?

नवचंडी पाठ एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें दुर्गा सप्तशती (देवी महात्म्य) के 700 श्लोकों का पाठ नौ बार (नव पाठ) किया जाता है, जिसके बाद हवन और अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं। यह पाठ माँ चंडी (माँ दुर्गा का उग्र रूप) को समर्पित है, जो नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं, और जीवन की बाधाओं को नष्ट करती हैं।

  1. शक्ति की प्राप्ति – यह साधना व्यक्ति को मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश – जीवन से बाधाएँ, रोग और शत्रु बाधाएँ समाप्त होती हैं।
  3. धन और समृद्धि – माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
  4. परिवारिक शांति – घर-परिवार में शांति, सौहार्द और आपसी सहयोग बढ़ता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति – व्यक्ति को भक्ति मार्ग पर प्रगति करने का अवसर मिलता है।

नवरात्रि में क्यों कराना चाहिए नवचंडी पाठ?

नवरात्रि देवी शक्ति की साधना का विशेष समय है। इस अवसर पर किया गया नवचंडी पाठ व्यक्ति के जीवन को हर दृष्टि से सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। यह अनुष्ठान केवल पूजा-पाठ नहीं बल्कि एक शक्ति-साधना है, जो व्यक्ति के जीवन को नए उत्साह, विश्वास और सफलता की राह पर ले जाती है।

नवचंडी पाठ कैसे किया जाता है? इसकी विधि क्या है?

  • पाठ की शुरुआत कलश स्थापना और मंत्रोच्चारण से होती है।
  • इसके बाद दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का विधिपूर्वक पाठ किया जाता है।
  • नवग्रह और महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
  • हवन के साथ इस अनुष्ठान का समापन होता है।
  • यह संपूर्ण प्रक्रिया लगभग 1 से 2 दिन तक चल सकती है।

किसे और क्यों कराना चाहिए नवचंडी पाठ?

  • जिनके जीवन में लगातार बाधाएँ, कष्ट और रुकावटें आ रही हों।
  • जिनके ऊपर शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा या ग्रहदोष का प्रभाव हो।
  • व्यापार या करियर में अचानक हानि या असफलता मिल रही हो।
  • पारिवारिक जीवन में कलह या अशांति हो।
  • नवरात्रि में विशेष रूप से इसे कराने से नवदुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवचंडी पाठ के लाभ कौन-कौन से है?

  • दुर्गा माँ की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • ग्रहदोष और कालसर्प दोष जैसे ज्योतिषीय कष्ट दूर होते हैं।
  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
  • शिक्षा, करियर और व्यापार में सफलता मिलती है।
  • रोग, दरिद्रता और शत्रु बाधाओं का नाश होता है।

उज्जैन में नवचंडी पाठ की बुकिंग कैसे कराएँ?

नवचंडी पाठ उज्जैन में कराने के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें और पूजा की पूरी जानकारी प्राप्त करें। पंडित जी को पूजा-अनुष्ठान कराने में कई वर्षो का अनुभव प्राप्त है। आपनी पूजा बुकिंग के लिए आज ही उज्जैन के योग्य पंडित जी से आज ही कॉल करके बात करें।

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