नवरात्रि पूजा 2025: पूजा विधि, मुहूर्त और मां दुर्गा की पूजा

शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा को समर्पित है। यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तक मनाया जाता है। 2025 में, शारदीय नवरात्रि 23 सितंबर से 1 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, और इसका समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) के साथ होगा।

यह नौ दिवसीय उत्सव शक्ति, भक्ति, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जिसमें मां दुर्गा की पूजा और व्रत से भक्तों को सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 का महत्व क्या है?

शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा की शक्ति और उनके नौ रूपों की आराधना का पर्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक राक्षस महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसलिए, नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री—की पूजा की जाती है। यह पर्व भक्तों को आत्मिक शुद्धि, मानसिक शांति, और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, नवरात्रि में पूजा करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथियां

वैदिक पंचांग के अनुसार, 2025 में शारदीय नवरात्रि की तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • 23 सितंबर 2025, मंगलवार: प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री की पूजा, घटस्थापना
  • 24 सितंबर 2025, बुधवार: द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • 25 सितंबर 2025, गुरुवार: तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा की पूजा
  • 26 सितंबर 2025, शुक्रवार: चतुर्थी तिथि, मां कूष्मांडा की पूजा
  • 27 सितंबर 2025, शनिवार: पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता की पूजा
  • 28 सितंबर 2025, रविवार: षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी की पूजा
  • 29 सितंबर 2025, सोमवार: सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि की पूजा
  • 30 सितंबर 2025, मंगलवार: अष्टमी तिथि, मां महागौरी की पूजा
  • 1 अक्टूबर 2025, बुधवार: नवमी तिथि, मां सिद्धिदात्री की पूजा
  • 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार: दशमी तिथि, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी

नवरात्रि पूजा विधि क्या है?

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। नीचे घटस्थापना और नवरात्रि पूजा की विस्तृत विधि दी गई है, जिसे घर पर आसानी से किया जा सकता है:

पूजा की तैयारी

  1. सामग्री:
    • मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर
    • तांबे, चांदी, या मिट्टी का कलश
    • गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर (पंचामृत के लिए)
    • लाल कपड़ा, रोली, चंदन, अक्षत (चावल), और सुपारी
    • लाल फूल, माला, और दूर्वा घास
    • धूप, दीप, कपूर, और अगरबत्ती
    • जौ, मिट्टी का पात्र (जौ बोने के लिए)
    • नारियल, पान का पत्ता, और लौंग
    • प्रसाद (खीर, हलवा, फल, और मिठाई)
    • दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा की पुस्तक
  2. पूजा स्थल: स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  3. शुद्धिकरण: स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

विधि

  1. संकल्प:
    • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • हाथ में गंगाजल, अक्षत, और फूल लेकर संकल्प करें: “मैं नवरात्रि 2025 के शुभ अवसर पर मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने जा रहा/रही हूं।”
  2. कलश स्थापना:
    • एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उसे चौकी पर रखें।
    • तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल, सुपारी, लौंग, और एक सिक्का डालें।
    • कलश पर स्वास्तिक बनाएं और लाल चुनरी लपेटें। ऊपर नारियल रखें।
    • कलश को जौ के पात्र के बीच में स्थापित करें।
    • मंत्र: “ॐ नमश्चंडिकायै नमः” (108 बार)।
  3. गणेश पूजा:
    • किसी भी पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। गणेश जी को रोली, चंदन, और फूल अर्पित करें।
    • मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः” (21 बार)।
  4. मां दुर्गा का आवाहन:
    • मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
    • मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” (21 बार)।
    • मां को लाल चुनरी, फूल, और माला अर्पित करें

नवरात्रि व्रत के नियम कौन-कौन से है?

  1. उपवास: भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार 2, 7, या 9 दिन का व्रत रख सकते हैं। फलाहार (फल, साबूदाना, कुट्टू की पूड़ी) का सेवन करें।
  2. सात्विक भोजन: तामसिक भोजन (मांस, मछली, लहसुन, प्याज) से बचें।
  3. शुद्धता: सुबह जल्दी स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें, और पूजा स्थल को शुद्ध रखें।
  4. नकारात्मकता से बचें: क्रोध, निंदा, और झूठ से दूर रहें।
  5. व्रत पारण: अष्टमी या नवमी के बाद दशमी तिथि (2 अक्टूबर 2025) को व्रत का पारण करें।

शारदीय नवरात्रि 2025 (23 सितंबर से 1 अक्टूबर) मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति की साधना का एक पवित्र अवसर है। सही मुहूर्त में घटस्थापना और दैनिक पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाती है। प्रत्येक दिन मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, और कन्या पूजन के साथ पर्व को सम्पन्न करें। इस नवरात्रि, मां दुर्गा आपके सभी कष्ट दूर करें और आपके जीवन को आलोकित करें।

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